Index Search for 'खरस्यापचितिः' |
Shloka: | अकृता या प्रहस्तेन कुम्भकर्णेन चानघ ।खरस्यापचितिः संख्ये तां गच्छस्व महाभुज ॥ |
Reference: | 3.42.272.0.6(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#6) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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