Index Search for 'खं' |
Shloka: | यथा प्राणांश्च राज्यं च राजन्कर्म सुखानि च । त्यजेयं न पुनः सत्यं तेन सत्येनखं व्रज ॥ |
Reference: | 5.54.120.11.10(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (120)>गालवचरितम्>श्लोक#10) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (120) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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