Index Search for 'एषः' |
Shloka: | आख्यातव्यं त्वेव सर्वं मुमूर्षोर्मया तुभ्यं पृष्टया धर्मएषः । न मे व्यथा विद्यते त्वद्भयं वा संपश्यन्त्याः सानुजं धर्मराजम् ॥ |
Reference: | 3.42.254.0.5(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>चतुःपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#5) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | चतुःपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|