Index Search for 'एष' |
Shloka: | रक्षसां च समुच्छेदएष तात तपस्विनाम् । निमित्तभूतस्त्वं चात्र क्रतौ वासिष्ठनन्दन । स सत्रं मुञ्च भद्रं ते समाप्तमिदमस्तु ते ॥ |
Reference: | 1.11.172.6.14(आदिपर्व>चैत्ररथपर्व>द्विसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>और्वोपाख्यान>श्लोक#14) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | चैत्ररथपर्व |
Adhyaya: | द्विसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | और्वोपाख्यान |
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