Index Search for 'एष' |
Shloka: | एष रौद्रश्च संघातो महान्युक्तश्च तेजसा । सोमस्य वह्निसूर्याभ्यामद्भुतोऽयं समागमः । जनयेद्यं सुतं सोमः सोऽस्या देव्याः पतिर्भवेत् ॥ |
Reference: | 3.37.213.0.32(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#32) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्रयोदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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