Index Search for 'एवार्जुनो' |
Shloka: | भुङ्क्तएवार्जुनो भक्तं न चास्यास्याद्व्यमुह्यत । हस्तस्तेजस्विनो नित्यमन्नग्रहणकारणात् । तदभ्यासकृतं मत्वा रात्रावभ्यस्त पाण्डवः ॥ |
Reference: | 1.7.123.0.4(आदिपर्व>संभवपर्व>त्रयोविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (123)>श्लोक#4) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | त्रयोविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (123) |
Akhyana: | |
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