Index Search for 'एवमेतानि' |
Shloka: | ब्राह्मण उवाच -एवमेतानि पुरुषा दुःखानि च सुखानि च । प्राप्नुवन्ति महाबुद्धे नोत्कण्ठां कर्तुमर्हसि । दुष्करं हि कृतं तात जानता जातिमात्मनः ॥ |
Reference: | 3.37.206.0.9(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>षडधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#9) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | षडधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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