Index Search for 'एवमुक्त्वा' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच -एवमुक्त्वा खमुत्पत्य नारदस्त्रिदिवं गतः । राजापि दुहितुः सर्वं वैवाहिकमकारयत् ॥ |
Reference: | 3.42.278.0.32(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>अष्टसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#32) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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