Index Search for 'एवमुक्त्वा' |
Shloka: | लोमश उवाच -एवमुक्त्वा गतः शक्रो यवक्रीरपि भारत । भूय एवाकरोद्यत्नं तपस्यमितविक्रम ॥ |
Reference: | 3.33.135.0.23(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>पञ्चत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (135)>श्लोक#23) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | पञ्चत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (135) |
Akhyana: | |
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