Index Search for 'एवमुक्तो' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच -एवमुक्तो दशग्रीवस्तुष्टः समभवत्तदा । अवमेने हि दुर्बुद्धिर्मनुष्यान्पुरुषादकः ॥ |
Reference: | 3.42.259.0.27(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकोनषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#27) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकोनषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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