Index Search for 'एवमुक्तैर्वर्धितश्चापि' |
Shloka: | एवमुक्तैर्वर्धितश्चापि देवै राजाभवन्नहुषो घोरवीर्यः । त्रैलोक्ये च प्राप्य राज्यं तपस्विनः कृत्वा वाहान्याति लोकान्दुरात्मा ॥ |
Reference: | 5.49.16.10.25(उद्योगपर्व>उद्योगपर्व>षोडशोऽध्यायः (16)>इन्द्रविजयोपाख्यान>श्लोक#25) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | उद्योगपर्व |
Adhyaya: | षोडशोऽध्यायः (16) |
Akhyana: | इन्द्रविजयोपाख्यान |
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