Index Search for 'एवमुक्ते' |
Shloka: | एवमुक्ते तु शक्रेण त्रिदिवं कृत्तिका गताः । नक्षत्रं शकटाकारं भाति तद्वह्निदैवतम् ॥ |
Reference: | 3.37.219.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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