Index Search for 'एवमुक्तास्तु' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एवमुक्तास्तु ते पार्था यमौ च पुरुषर्षभौ । द्रौपद्या कृष्णया सार्धं नमश्चक्रुर्जनार्दनम् ॥ |
Reference: | 3.37.188.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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