Index Search for 'एवमुक्ताः' |
Shloka: | तएवमुक्ताः प्रत्यूचू राजानमरिमर्दनम् । या गतिस्तव राजेन्द्र सास्माकमपि भारत । कथं वा संप्रवेक्ष्यामस्त्वद्विहीनाः पुरं वयम् ॥ |
Reference: | 3.39.239.0.14(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>एकोनचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#14) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकोनचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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