Index Search for 'एवमुक्ता' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एवमुक्ता महात्मानो नारदेन महर्षिणा । समयं चक्रिरे राजंस्तेऽन्योन्येन समागताः । समक्षं तस्य देवर्षेर्नारदस्यामितौजसः ॥ |
Reference: | 1.16.204.9.27(आदिपर्व>अर्जुनवनवासपर्व>चतुरधिकद्विशततमोऽध्यायः>शार्ङ्गकोपाख्यान>श्लोक#27) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | अर्जुनवनवासपर्व |
Adhyaya: | चतुरधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | शार्ङ्गकोपाख्यान |
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