Index Search for 'एवमुक्तस्य' |
Shloka: | एवमुक्तस्य शक्रेण च्यवनस्य महात्मनः । स मन्युर्व्यगमच्छीघ्रं मुमोच च पुरंदरम् ॥ |
Reference: | 3.33.125.0.7(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>पञ्चविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (125)>श्लोक#7) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | पञ्चविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (125) |
Akhyana: | |
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