Index Search for 'एवमादि' |
Shloka: | एवमादि प्रियं प्रीत्या हृद्यमुक्त्वा मनोनुगम् । गमनाय मनश्चक्रे वासुदेवरथं प्रति ॥ |
Reference: | 3.38.224.0.15(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व>चतुर्विंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#15) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व |
Adhyaya: | चतुर्विंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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