Index Search for 'एवमस्त्विति' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एवमस्त्विति तां राजा प्रत्युवाचाविचारयन् । अपि च त्वां नयिष्यामि नगरं स्वं शुचिस्मिते । यथा त्वमर्हा सुश्रोणि सत्यमेतद्ब्रवीमि ते ॥ |
Reference: | 1.7.67.1.18(आदिपर्व>संभवपर्व>सप्तषष्ठितमोऽध्यायः (67)>शकुन्तलोपाख्यान>श्लोक#18) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | सप्तषष्ठितमोऽध्यायः (67) |
Akhyana: | शकुन्तलोपाख्यान |
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