Index Search for 'एवमस्त्विति' |
Shloka: | एवमस्त्विति सा तेन पाण्डव प्रतिनन्दिता । जमदग्निं ततः पुत्रं सा जज्ञे काल आगते । तेजसा वर्चसा चैव युक्तं भार्गवनन्दनम् ॥ |
Reference: | 3.33.115.0.28(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>पञ्चदशाधिकशततमोऽध्यायः (115)>श्लोक#28) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | पञ्चदशाधिकशततमोऽध्यायः (115) |
Akhyana: | |
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