Index Search for 'एवंभूते' |
Shloka: | एवंभूते तदा लोके संकुले भरतर्षभ । अदृश्यन्त सप्तर्षयो मनुर्मत्स्यः सहैव ह ॥ |
Reference: | 3.37.185.0.42(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>पञ्चाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#42) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | पञ्चाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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