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Shloka: | एवं गतेऽपि तु मया यच्छक्यं भृगुनन्दन । तत्करिष्ये कुरुक्षेत्रे योत्स्ये विप्र त्वया सह । द्वंद्वे राम यथेष्टं ते सज्जो भव महामुने ॥ |
Reference: | 5.60.178.0.31(उद्योगपर्व>अम्बोपाख्यानपर्व>अष्टसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#31) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | अम्बोपाख्यानपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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