Index Search for 'एवं' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एवं स पाण्डवस्तेन अनुनीतो महात्मना । विशोको विज्वरो राजन्काम्यके न्यवसत्तदा ॥ |
Reference: | 3.42.283.0.16(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्र्यशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#16) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्र्यशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|