Index Search for 'एवं' |
Shloka: | एवं बहुविधैर्वाक्यैरविन्ध्यो रावणं तदा । क्रुद्धं संशमयामास जगृहे च स तद्वचः ॥ |
Reference: | 3.42.273.0.32(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#32) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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