Index Search for 'एवं' |
Shloka: | एवं तत्राब्रुवन्केचिद्वातिकास्तं नरेश्वरम् । सुहृदस्त्वब्रुवंस्तत्र अति सर्वानयं क्रतुः ॥ |
Reference: | 3.39.243.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>त्रिचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | त्रिचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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