Index Search for 'एवं' |
Shloka: | एवं पर्याकुले लोके मर्यादा न भविष्यति । न स्थास्यन्त्युपदेशे च शिष्या विप्रियकारिणः ॥ |
Reference: | 3.37.188.0.72(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#72) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टाशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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