Index Search for 'एवं' |
Shloka: | एवं त्वयेच्छाम कृतं महर्षे महार्णवं पीयमानं महात्मन् । ततो वधिष्याम सहानुबन्धान्कालेयसंज्ञान्सुरविद्विषस्तान् ॥ |
Reference: | 3.33.102.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वयधिकशततमोऽध्यायः (102)>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वयधिकशततमोऽध्यायः (102) |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|