Index Search for 'एते' |
Shloka: | लोमश उवाच -एते कलिङ्गाः कौन्तेय यत्र वैतरणी नदी । यत्रायजत धर्मोऽपि देवाञ्शरणमेत्य वै ॥ |
Reference: | 3.33.114.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>चतुर्दशाधिकशततमोऽध्यायः (114)>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | चतुर्दशाधिकशततमोऽध्यायः (114) |
Akhyana: | |
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