Index Search for 'एतावदुक्त्वा' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एतावदुक्त्वा धृतराष्ट्रोऽन्वपद्यदन्तर्वेश्म सहसोत्थाय राजन् । नेदमस्तीत्यथ विदुरो भाषमाणः संप्राद्रवद्यत्र पार्था बभूवुः ॥ |
Reference: | 3.29.5.0.20(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरण्यकपर्व>पञ्चमोऽध्यायः (05)>श्लोक#20) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरण्यकपर्व |
Adhyaya: | पञ्चमोऽध्यायः (05) |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|