Index Search for 'एतावदुक्त्वा' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -एतावदुक्त्वा प्रययुर्हि शीघ्रं तान्येव वर्त्मान्यनुवर्तमानाः । मुहुर्मुहुर्व्यालवदुच्छ्वसन्तो ज्यां विक्षिपन्तश्च महाधनुर्भ्यः ॥ |
Reference: | 3.42.253.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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