Index Search for 'एतादृशं' |
Shloka: | एतादृशं वचः श्रुत्वा लक्ष्मणः प्रियराघवः । पिधाय कर्णौ सद्वृत्तः प्रस्थितो येन राघवः । स रामस्य पदं गृह्य प्रससार धनुर्धरः ॥ |
Reference: | 3.42.262.0.29(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#29) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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