Index Search for 'एतत्ते' |
Shloka: | सर्वैरिहेन्द्रियार्थैस्तु व्यक्ताव्यक्तैः सुसंवृतः । चतुर्विंशक इत्येष व्यक्ताव्यक्तमयो गुणः ।एतत्ते सर्वमाख्यातं किं भूयो श्रोतुमिच्छसि ॥ |
Reference: | 3.37.201.0.20(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#20) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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