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Shloka: | एतत्कर्ता कर्म सुदुष्करं यः कुलेन रूपेण बलेन युक्तः । तस्याद्य भार्या भगिनी ममेयं कृष्णा भवित्री न मृषा ब्रवीमि ॥ |
Reference: | 1.12.176.0.35(आदिपर्व>द्रौपदीस्वयंवरपर्व>षट्सप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#35) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | द्रौपदीस्वयंवरपर्व |
Adhyaya: | षट्सप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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