Index Search for 'एतत्' |
Shloka: | देवयाने उवाच - यत्एतत् एवम् शर्मिष्ठे न मन्युः विद्यते मम । अपत्यम् यदि ते लब्धम् ज्येष्ठात् श्रेष्ठात् च वै द्विजात् ॥ |
Reference: | 1.7.78.2.7(आदिपर्व>संभवपर्व>अष्टसप्ततितमोऽध्यायः (78)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#7) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्ततितमोऽध्यायः (78) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
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