Index Search for 'एको' |
Shloka: | नारद उवाच -एको दोषोऽस्य नान्योऽस्ति सोऽद्य प्रभृति सत्यवान् । संवत्सरेण क्षीणायुर्देहन्यासं करिष्यति ॥ |
Reference: | 3.42.278.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>अष्टसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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