Index Search for 'एकाग्रं' |
Shloka: | नैषां शस्त्रप्रहारोऽस्ति पदं नेहास्ति कस्यचित् । भूतं महदिदं मन्ये भ्रातरो येन मे हताः ।एकाग्रं चिन्तयिष्यामि पीत्वा वेत्स्यामि वा जलम् ॥ |
Reference: | 3.44.297.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरणेयपर्व >सप्तनवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरणेयपर्व |
Adhyaya: | सप्तनवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|