Index Search for 'एकहंसे' |
Shloka: | एकहंसे नरः स्नात्वा गोसहस्रफलं लभेत् । कृतशौचं समासाद्य तीर्थसेवी कुरूद्वह । पुण्डरीकमवाप्नोति कृतशौचो भवेन्नरः ॥ |
Reference: | 3.33.81.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>एकाशीतितमोऽध्यायः (81)>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकाशीतितमोऽध्यायः (81) |
Akhyana: | |
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