Index Search for 'एकस्य' |
Shloka: | एकस्य धर्मेण सतां मतेन सर्वे स्म तं मार्गमनुप्रपन्नाः । मा वै द्वितीयं मा तृतीयं च वाञ्छे तस्मात्सन्तो धर्ममाहुः प्रधानम् ॥ |
Reference: | 3.42.281.0.24(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#24) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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