SOIL-Tech
संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाएं - प्रौद्योगिकी

सम्मेलन केन्द्र, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली

15-17 फ़रवरी 2019

Click for English , Sanskrit, Bangla, Maithili , Manipuri , Malayalam , Konkani and Garhwali Version
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प्रेरणा एवं उद्देश्य

भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी आज एक गंभीर मोड़ पर खड़ी है । एक ओर भाषिक और सांस्कृतिक विविधताएं भारतीय भाषाओं को स्वच्छंदता और स्वतंत्रता देती हैं, गतिमान बनाती हैं, वहीं दूसरी ओर प्रौद्योगिकी और संबंधित सामग्री के अभाव से इसके विकास की गति बाधित हो रही है । चार मुख्य भाषा परिवार, २२ राष्ट्र भाषाएं और कुल १७६१ भाषाओं की विविधता और संगणकीय जटिलता के बीच संस्कृत की परंपरा, मानक, व्याकरण, स्वीकार्यता और सबको एक सूत्र में बांधने की क्षमता भाषा प्रौद्योगिकी समुदाय को आकर्षित करती रही है।

भारतीय भाषाओं के परिवार संस्कृत की भूमिका और प्रभाव, भारतीय भाषा, संस्कृति और जन मानस पर गहरी है और प्रौद्योगिकी की दृष्टि से महत्वपूर्ण है । करीब ७७% भाषाएं आर्य परिवार की तथा लगभग सारी लिपियां ब्राह्मी से आई हैं।

इसके अलावा पाणिनीय पद्धति, शब्दकोश और भाषाई और साहित्यिक मानदंड संपूर्ण भाषाई मानचित्र पर प्रभावी रहा है । उपरोक्त भूमिका और तथ्यों के आलोक में तथा भारतीय भाषाओं में भारत सरकार के उपक्रमों के बावजूद प्रौद्योगिकी और संबंधित सामग्री के अभाव को ध्यान में रखते हुए त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ज.ने.वि. तथा भारतीय भाषा मंच ने संयुक्त रूप से करने का निर्णय किया है जिससे भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकी की वास्तविक स्थिति और दिशा निर्देश किया जा सके ।

एसओआईल-टेक (SOIL-Tech) का मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है:
  • 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं के लिए एक श्वेत पत्र का निर्माण करना
  • संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं पर भाषा संसाधनों के विभिन्न स्तरों का निर्माण करना एवं साझा करने हेतु संबंधित चुनौतियों की जांच करना
  • भारतीय भाषा संसाधन निर्माणकर्ता एवं उपयोगकर्ताओं के बीच विचार-विमर्श हेतु एक स्थान निर्मित करना
  • भारतीय भाषाओं से संबंधित महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्माण हेतु समर्पित निर्माणकर्ता के समूहों का निर्माण करना
विषय-विवरण

    पिछले कुछ वर्षों में बहुत से संसाधन विकसित एवं उपलब्ध कराए गए हैं. श्वेत-पत्र के संदर्भ में प्रयोग कई योग्य प्रौद्योगिकी के विकास में बढती हुई गतिविधियों को देखा गया है। अतः SOIL-Tech सम्मेलन, यूरोपीय भाषा प्रौद्योगिकी में मेटा-नेट (META-NET) द्वारा किए गए सभी समान भाषाओं पर एवं भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी से संबंधित निर्मित "श्वेत पत्र" पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा।

इसके अलावा भारतीय भाषा तकनीकी संसाधनों से संबंधित निम्नलिखित विषयों पर जैसे- तकनीकी, एवं नीति की स्थिति पर शोध पत्र आमंत्रित हैं:

  • कॉर्पोरा – टेक्स्ट, स्पीच, मल्टीमॉडल, मेथोड़ोलोजी, एनोटेशन और टूल्स
  • डिजिटल मानविकी
  • ई-लर्निंग
  • रूपात्मक व्याकरण
  • हेरिटेज कंप्यूटिंग
  • सूचना निष्कर्षण और पुनर्प्राप्ति
  • प्राकृतिक भाषा संसाधन के लिए भाषा स्रोत
  • शब्दकोश और मशीन-पठनीय शब्दकोश
  • मशीनी अनुवाद
  • सत्‍तामीमांसा-विषयक
  • प्राचीन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण की प्रविधियाँ
  • डिजिटल लाइब्रेरी
  • वाक् प्रौद्योगिकी
  • भाषा संसाधन अनुप्रयोगों के लिए मानक या विनिर्देश
  • वेब सेमेन्टिक्स

प्रविष्टि एवं समीक्षा, दोनों प्रक्रियाओं को तकनीकी रूप से संचालित किया जाएगा। समीक्षा प्रक्रिया डबल ब्लाइंड होगी।

 
संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाएं - प्रौद्योगिकी

दिनांक: शुक्रवार-रविवार, 15-17 फ़रवरी 2019 

स्थान: सम्मेलन केन्द्र, ज.ने.वि., नई दिल्ली

वेब-पटल:

  • मुख्य वेब-पटल - http://sanskrit.jnu.ac.in/conf/soiltech1
  • पत्र जमा करने हेतु - https://easychair.org/conferences/?conf=soiltech2018

  • दिनांक 

    अगस्त 12, 2018 पत्र की अंतिम तिथि
    अक्टूबर 12, 2018 पोस्टर की अंतिम तिथि
    अक्टूबर 10, 2018 स्वीकृत पत्रों की सूचना
    अक्टूबर 20, 2018 स्वीकृत पोस्टर की सूचना
    अक्टूबर 25, 2018 कैमरा रेडी पत्र की अंतिम तिथि
    फ़रवरी 15-17, 2019 सम्मेलन

    प्रविष्टियां

    शोध-पत्र मूल रूप से मौलिक एवं अप्रकाशित कार्य का ही वर्णन होना चाहिए। प्रत्येक प्रविष्ट शोध-पत्र की समीक्षा कम से कम तीन कार्यक्रम समिति के सदस्यों द्वारा पूर्ण किया जाएगा।

    स्वीकृत शोध-पत्र 10-20 पृष्ठ (श्वेत पत्रों के लिए), 10 पृष्ठ (शोध पत्रों के लिए) एवं सम्मेलन में प्रस्तुत लघु शोध-पत्र / पोस्टर के लिए 5 पृष्ठ तक होने चाहिए जिनकी प्रस्तुति मौखिक या पोस्टर के रूप में प्रस्तुत की जाएगी।

    SOIL-Tech स्टाइल शीट के अनुसार ही शोध-पत्र प्रारूपित किए जाने चाहिए, जिसकी जानकारी SOIL-Tech 2019 के वेब-पटल पर उपलब्ध है। कृपया संपूर्ण शोध-पत्र EasyChair (https://easychair.org/conferences/?conf=soiltech2018) के माध्यम से पीडीएफ प्रारूप में जमा करें। शोधपत्र-संग्रह गरुड़ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया जायेगा ।

    शोध-पत्र प्रस्तुति की निम्नलिखित श्रेणियां हैं:

  • पूर्ण शोध-पत्र (10 पृष्ठ)
  • लघु शोध-पत्र (प्रगति कार्य- 5 पृष्ठ)

    पिछले कुछ वर्षों में बहुत से संसाधन विकसित एवं उपलब्ध कराए गए हैं. श्वेत-पत्र के संदर्भ में प्रयोग कई योग्य प्रौद्योगिकी के विकास में बढती हुई गतिविधियों को देखा गया है। अतः SOIL-Tech सम्मेलन, यूरोपीय भाषा प्रौद्योगिकी में मेटा-नेट (META-NET) द्वारा किए गए सभी समान भाषाओं पर एवं भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी से संबंधित निर्मित "श्वेत पत्र" पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अलावा भारतीय भाषा तकनीकी संसाधनों से संबंधित निम्नलिखित विषयों पर जैसे- तकनीकी, एवं नीति की स्थिति पर शोध पत्र आमंत्रित हैं:

    • कॉर्पोरा – टेक्स्ट, स्पीच, मल्टीमॉडल, मेथोड़ोलोजी, एनोटेशन और टूल्स
    • डिजिटल मानविकी
    • ई-लर्निंग
    • रूपात्मक व्याकरण
    • हेरिटेज कंप्यूटिंग
    • सूचना निष्कर्षण और पुनर्प्राप्ति
    • प्राकृतिक भाषा संसाधन के लिए भाषा स्रोत
    • शब्दकोश और मशीन-पठनीय शब्दकोश
    • मशीनी अनुवाद
    • सत्‍तामीमांसा-विषयक
    • प्राचीन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण की प्रविधियाँ
    • डिजिटल लाइब्रेरी
    • वाक् प्रौद्योगिकी
    • भाषा संसाधन अनुप्रयोगों के लिए मानक या विनिर्देश
    • वेब सेमेन्टिक्स

    प्रविष्टि एवं समीक्षा, दोनों प्रक्रियाओं को तकनीकी रूप से संचालित किया जाएगा। समीक्षा प्रक्रिया डबल ब्लाइंड (double-blind) होगी।

    अन्य जानकारी हेतु कृपया निम्नलिंक देखें: http://sanskrit.jnu.ac.in/conf/soiltech1/index.jsp

    आयोजन कर्ता
    • गिरिश नाथ झा, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
    • वृषभ प्रसाद जैन,भारतीय भाषा मंच एवं म.गां.अ.हिं.वि.वि.,वर्धा
    आयोजन प्रबंधक:

    अतुल कुमार ओझा, सीनियर एनएलपी रिसर्च इंजीनियर, एमटीईपी प्रोजेक्ट@ज.ने.वि.वि  shashwatup9k@gmail.com

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    आयोजन कर्ता

    गिरिश नाथ झा, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
    वृषभ प्रसाद जैन, भारतीय भाषा मंच एवं म.गां.अ.हिं.वि.वि.,वर्धा

    आयोजन समिति का विवरण

    गिरिश नाथ झा
    प्रोफेसर - संगणकीय भाषाविज्ञान
    एवं डीन, संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान,
    ज.ने.वि, नई दिल्ली-110067
    फोन नं: 91-11-26741308 (o) ईमेल: girishjha@gmail.com

    गिरीश नाथ झा, कम्प्यूटेशनल भाषाविज्ञान के प्रोफेसर और संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान, ज.ने.वि के संकायाध्यक्ष हैं। वह भाषा विज्ञान केंद्र, भाषा साहित्य और संस्कृति अध्ययन स्कूल, जेएनयू में प्रोफेसर और समवर्ती संकाय सदस्य भी हैं। वह सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, डार्टमाउथ, एमए, यूएसए में 2009-2012, 2013 में योग्यकार्ता स्टेट यूनिवर्सिटी, इंडोनेशिया, और, 2014 और नवंबर 2016 में जर्मनी के वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय में अतिथि प्रोफेसर थे। जून 2016 में इटली के फ्लोरेंस विश्वविद्यालय में भी अतिथि प्रोफेसर थे। प्रोफेसर झा ने जेएनयू से भाषाविज्ञान (कम्प्यूटेशनल भाषाविज्ञान) में अपनी डॉक्टरेट की डिग्री पूरी की और फिर1999 में इलिनॉय विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका से भाषाविज्ञान (प्राकृतिक भाषा इंटरफेस) में द्वितीय मास्टर्स डिग्री में पूर्ण किया। यह 2002 से ज.ने.वि में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। ज.ने.वि आने से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में इन्होंने काम किया। प्रोफेसर झा के शोध रुचि में भारतीय भाषाओं के निगम और मानकों, संस्कृत और हिंदी भाषाविज्ञान, कम्प्यूटेशनल कोशविज्ञान, मशीन अनुवाद, प्राकृतिक भाषा इंटरफेस, ई-लर्निंग, वेब आधारित प्रौद्योगिकियों, आरडीबीएमएस तकनीक, सॉफ्टवेयर डिजाइन और स्थानीयकरण हैं। इन्होंने परामर्शदाता के रूप में एलडीसी (पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय), माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प. और माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया के लिए काम किया है। इन्होंने 2012 में माइक्रोसॉफ्ट के बिंग ट्रांसलेटर के लिए अंग्रेजी-उर्दू मशीन अनुवाद बनाने के लिए सहयोग दिया था। प्रोफेसर झा वर्तमान में प्रमुख भारतीय भाषाओं हेतु पैरलल एनोटेटेड कॉर्पोरा विकसित करने के लिए 17 भारतीय विश्वविद्यालयों के एक संघ का नेतृत्व कर रहे हैं।

    वृषभ प्रसाद जैन
    प्रोफेसर एवं निदेशक भाषा विद्यापीठ,
    महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा -442001
    फोन नं.: 011-91-522-2732703 ई-मेल: vrashabh.jain@gmail.com

    वृषभ प्रसाद जैन, भाषाविज्ञान तथा भारतीय भाषाओं के विविध पक्षों पर शोध के साथ-साथ साहित्‍य की विभिन्‍न विधाओं में सर्जनात्‍मक व वैचारिक लेखन। राष्‍ट्रीय व अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के अनेक सम्‍मेलनों में आलेख-पाठ एवं विश्‍व संस्‍कृत सम्‍मेलन, नीदरलैण्‍ड्स में भारतीय व्‍याकरण सत्र की अध्‍यक्षता। यूरोप व अमेरिका के अनेक विश्‍वविद्यालयों में अतिथि-व्‍याख्‍यान। संस्‍कृत की पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ भाषाविज्ञान से संबंधित अधुनातन विषयों में अध्‍ययन व अनुसंधान। 'बाहुबलीयम्' काव्‍यकृति पर उ.प्र. संस्‍कृत संस्‍थान द्वारा पुरस्‍कृत। आचार्य पं. विद्यानिवास मिश्र के साथ भारतीय भाषा तत्‍व मीमांसा विश्‍वकोश के सहायक संपादक रहे। क.मा. मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ में शोध, भोपाल विश्‍वविद्यालय, भोपाल; संपूर्णानंद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय, वाराणसी; लखनऊ विश्‍वविद्यालय में अध्‍यापन व शोध-निर्देशन। वर्तमान में महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय की महत्‍वपूर्ण योजनाओं (1) हिंदी व्‍याकरण; (2) समसामयिक हिंदी प्रयोग कोश के निर्देशन व संपादन में संलग्‍न रहते हुए भाषा-केन्‍द्र, लखनऊ में आचार्य एवं निदेशक के रूप में कार्यरत। वर्तमान में वर्धा मुख्‍यालय में स्थिति महात्‍मा गाँधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के अंतर्गत भाषा-विद्यापीठ में बतौर प्रोफेसर एवं निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।

     

    आयोजन समिति

    • अतुल कोठारी, भारतीय भाषा मंच
    • अनुपम शुक्ला, एबीवी-आईआईआईटी, ग्वालियर
    • ईश्वर दयाल कंसल, भारतीय भाषा मंच
    • संतोष कुमार शुक्ला, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
    • बृजेश पांडेय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
    • रजनीश कुमार मिश्रा, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
    • मलखान सिंह, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

    कार्यक्रम समिति

    • आदिल अमिन काक़, कश्मीर विश्वविद्यालय
    • अरुल मोज़ी, हैदराबाद विश्वविद्यालय
    • आसिफ इक़बाल, आईआईटी पटना, पटना
    • अनिल कुमार सिंह, आईआईटी बीएचयू, बनारस
    • अनुपम बासु, निदेशक, एन.आई,टी, सिलचर
    • बोगडन बेबीच, लीड्स विश्वविद्यालय, यूके
    • दीप्ति मिश्रा शर्मा, आईआईआईटी, हैदराबाद
    • दीवाकर मिश्रा, ईजेडीआई, अहमदाबाद
    • डोरोथी बेरमेन, नार्वेजियन विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एनटीएनयू)
    • एलिजाबेथ शेरली, आईआईटीएम-केरल, त्रिवेंद्रम
    • ईशा बनर्जी, गूगल, यूएसए
    • गिरीश नाथ झा, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
    • ज्योति डीपावर, गोवा विश्वविद्यालय
    • करुणेश अरोड़ा, सीडैक नोएडा
    • कलिका बाली, एमएसआरआई, बैंगलोर
    • लार्स हेलन, एनटीएनयू, नॉर्वे
    • मल्हार कुलकर्णी, आईआईटी बॉम्बे
    • मंजी भद्रा, बांकुरा विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल
    • मासिमो मोनाग्लिया, फ्लोरेंस विश्वविद्यालय, इटली
    • मोनोजित चौधरी, एमएसआरआई बैंगलोर
    • नारायण चौधरी, सीआईआईएल, मैसूर
    • निलाद्री शेखर दाश, आईएसआई कोलकाता
    • पंचानन मोहंती, हैदराबाद विश्वविद्यालय
    • पिंकी नैनवानी, कॉग्निजेंट टेक्नॉलजी सोल्यूशन्स, बैंगलोर
    • पुष्पक भट्टाचार्य, निदेशक, आईआईटी पटना
    • राहुल गर्ग, आईआईटी दिल्ली, दिल्ली
    • रितेश कुमार, आगरा विश्वविद्यालय, आगरा
    • एसएस अग्रवाल, केआईआईटी, गुड़गांव, भारत
    • शान्तनु चौधरी, निदेशक, सीएएआरइ पिलानी
    • शिवाजी बंदोपाध्याय, निदेशक, एनआईटी, सिलचर
    • सचिन कुमार, सीडैक पूणे
    • सोभा एल, निदेशक, एयू-केबीसी रिसर्च सेंटर, अन्ना विश्वविद्यालय
    • सुभाष चंद्र, दिल्ली विश्वविद्यालय
    • स्वर्ण लता, प्रमुख, टीडीआईएल, एमसीआईटी, भारत सरकार
    • विशाल गोयल, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला
    • वृषभ प्रसाद जैन, भारतीय भाषा मंच और म.गां.अ.हिं.वि.वि.,वर्धा, वर्धा

     

    शीघ्र ही.....












    संपर्क करें - प्रो. गिरिश नाथ झा (girishjha@jnu.ac.in)