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Sthana
 


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Index Search for        'षाष्ठे'
Sutra: अथैनं सायाह्ने परे वाऽह्नि सुखोदकपरिषिक्तं पुराणानां लोहितशालितण्डुलानां स्वपक्लिन्नां मण्डपूर्वां सुखोष्णां यवागूं पाययेदग्निबलमभिसमीक्ष्य एवं द्वितीये तृतीये चान्नकाले चतुर्थे त्वन्नकाले तथाविधानामेव शालितण्डुलानामुत्स्विन्नां विलेपीमुष्णोदकद्वितीयामस्नेहलवणामल्पस्नेहलवणां वा भोजयेत् एवं पञ्चमेषाष्ठे चान्नकाले सप्तमे त्वन्नकाले तथाविधानामेव शालीनां द्विप्रसृतं सुस्विन्नमोदनमुष्णोदकानुपानं तनुना तनुस्नेहलवणोपपन्नेन मुग्दयूषेण भोजयेत् एवमष्टमे नवमे चान्नकाले दशमे त्वन्नकाले लावकपिञ्जलादीनामन्यतमस्य मांसरसेनौदकलावणिकेन नातिसारवता भोजयेदुष्णोपमुञ्जानः सप्तरात्रेण प्रकृतिभोजनमागच्छेत् ।
Reference:1.14.16.0(सूत्रस्थान>स्वेदाध्याय>सूत्र#16.0)
Sthana:सूत्रस्थान
Adhyaya:स्वेदाध्याय
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