Index Search for 'लोकानुग्रहप्रवृत्त:' |
Sutra: | तत्राप्तागमस्तावद्वेद: यश्चान्योऽपिकश्चिद्वेदार्थादविपरीत: परीक्षकै: प्रणीत: शिष्टानुमतोलोकानुग्रहप्रवृत्त: शास्त्रवाद: स चाऽऽप्तागम: आप्तागमादुपलभ्यते- दानतपोयज्ञसत्याहिंसाब्रह्मचर्याणयभ्युदयनि:श्रेयसराणीति॥ |
Reference: | 1.10.27.0(सूत्रस्थान>महाचतुष्पादाध्याय>सूत्र#27.0) |
Sthana: | सूत्रस्थान |
Adhyaya: | महाचतुष्पादाध्याय |
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