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Sthana
 


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Sutra: अथैनमनुशिष्यात् -- विवृतोष्ठतालुकण्ठोनातिमहता व्यायामेन वेगानुदीर्णानुदीरयन् किञ्चिदवनम्यग्रीवामूर्ध्वशीरमुपवेगमप्रवृत्तान् प्रवर्तयन् सुपरिलिखितनखाभ्यामङ्गुलिभ्यामुत्पलकुमुदसौगन्धिकनालैर्वा कण्ठमभिस्पृशन् सुखं प्रवर्तयस्वेति स तथाविधम् कुर्यात् ततोऽस्य वेगान् प्रतिग्रहगतानवेक्षेतावहितः वेगविशेशदर्शनाद्धि कुशलो योगायोगातिगविशेषानुपलभेत वेगविशेषदर्शी पुनः कृत्यं यथार्हमवबुध्येतलक्?णेन तस्माद्वेगानवेक्षेतावहितः ।
Reference:1.14.12.0(सूत्रस्थान>स्वेदाध्याय>सूत्र#12.0)
Sthana:सूत्रस्थान
Adhyaya:स्वेदाध्याय
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