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Sthana
 


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Index Search for        'खल्वेनं'
Sutra: पीतवन्तं तुखल्वेनं मुहूर्तमनुकांक्षेत तस्य यदा जानीयात् स्वेदप्रादुर्भावेण दोषं प्रविलयनमापद्यमानं लोमहर्षेण च स्थानेभ्यः प्रचलितं कुक्षिसमाध्मापनेन च कुक्षिमनुगतं हृल्लासास्यस्त्रवणाभ्यामपि चोर्ध्वमुखीभूतम् अथास्मै जानुसममसंबाधं सुप्रयुक्तास्तरणोत्तरप्रच्छदीपधानं सोपाश्रयमासनमुपवेष्टुं प्रयच्छेत् प्रतिग्रहांश्चोपचारयेत् ललाटप्रतिग्रहे पार्श्वोपग्रहणे नाभिप्रपीडने पृष्ठोन्मर्दने चानपत्रपणीयाः सुहृदोऽनुमताः प्रयतेरन् ।
Reference:1.14.11.0(सूत्रस्थान>स्वेदाध्याय>सूत्र#11.0)
Sthana:सूत्रस्थान
Adhyaya:स्वेदाध्याय
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