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Sutra: | त्रयउपस्तम्भा इति-- आहार: स्वप्नो ब्रह्मचर्यमिति एभिस्त्रिभिर्युक्तियुक्तैरुपस्तब्धमुप्स्तम्भै: शरीरं बलवर्णोपचयोपचितमनुवर्तते यावदायु: संस्कारात् संस्कारमहितमनुपसेवमानस्य य इहैवोपदेक्ष्यते॥ |
Reference: | 1.10.35.0(सूत्रस्थान>महाचतुष्पादाध्याय>सूत्र#35.0) |
Sthana: | सूत्रस्थान |
Adhyaya: | महाचतुष्पादाध्याय |
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