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Sutra: | आगन्तुर्हि व्यथापूर्वं समुत्पन्नो जघन्यं वातपित्तश्लेष्मणां वैषम्यमापादयति निजे तु वातपित्तश्लेष्माण: पूर्वं वैषम्यमापद्यन्ते जघन्यं व्यथामभिनिर्वर्तयन्ति |
Reference: | 1.19.7.0(सूत्रस्थान>अष्टोदरीयाध्याय>सूत्र#7.0) |
Sthana: | सूत्रस्थान |
Adhyaya: | अष्टोदरीयाध्याय |
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