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AUSHADHI NAME |
HINDI |
VARGA |
SYNONYMS |
SHLOKA |
SHLOKAHINDI |
SCINTIFIC NAME(LATIN) |
मृग | हरीतकी के प्रयोग | हरीतक्यादिवर्गः | ------------- | विजया सर्वरोगेषु रोहिणी व्रजरोपणी। प्रलेपे पूतना योज्या शोथनार्थेऽमृता हिता॥१०॥ अक्षिरोगेऽभया शस्ता जीवन्तोसर्वरोगहृत्। चूर्णार्थे चेतकी शस्ता यथायुक्तं प्रयोजयेत्॥११॥ चेतकी द्विविधा प्रोक्ता श्वेता कृष्णा च वर्णतः। षड्ङ्गुलायता शुक्ला कृष्णा त्वेकाङ्गुला स्मृता॥१२॥ काचिदास्वादमात्रेण काचिद्गन्धेन भेदयेत्। काचित्स्पर्शेन दृष्ट्वाऽन्या चतुर्द्धा भेदयेच्छिवा॥१३॥ चेतकीपादपच्छायामुपसर्पन्ति ये नराः। भिद्यन्ते तत्क्षणादेव पशुपक्षिमृगादयः॥१४॥ चेतकी तु धृता हस्ते यावत्तिष्ठति देहिनः। तावद्भिद्धेत वेगैस्तु प्रभावान्नात्र संशयः॥१५॥ नृपाणां सुकुमाराणां कृशानां भेषजद्विषाम्। चेतकी परमा शस्ता हिता सुखविरेचनी॥१६॥ सप्तनामपि जातीनां प्रधाना विजया स्मृता। सुखप्रयोगा सुलभा सर्वरोगेषु शस्यते॥१७॥ | ------------- | ------------- | मृग | कस्तूरी | कर्पूरादिवर्गः | मृगनाभि, मृगमद, सहस्रभिद्, कस्तूरिका, कस्तूरी, वैधमुख्या | पुँसि क्लीबे च कर्पूरो हिमाह् वो हिमवालुकः। घनसारश्चन्द्रसंज्ञो हिमनामापि स स्मृतः॥१॥ कर्पूरः शीतलो वृष्यः चक्षुष्यो लेखनो लघुः। सुरभिर्मधुरस्तिक्तः कफपित्तविषापहः॥२॥ दाहतृष्णास्यवैरस्यमेदो दौर्गन्ध्यनाशनः। कर्पूरो द्विविधः प्रोक्तः पक्वापक्वप्रभेदतः। पक्वात्कर्पूरतः प्राहुरपक्वं गुणवत्तरम्॥३॥ | तीक्ष्ण, कड़वी, तिक्त, खारी, गर्म, वीर्यवर्द्धक, भारी कफ वात विष वमन शीत दुर्गन्धता तथा शोष को हरने वाली है। | Moschus | मृग | तगर | कर्पूरादिवर्गः | कालानुसार्य, तगर, कुटिल, नहुष, नत | कालानुसार्य्य तगरं कुटिलं नहुषं नतम्। अपरं पिण्डतगरं दण्डहस्ती च बर्हिणम्॥२७॥ तगरद्वयमुष्णं स्यात्स्वादु स्निग्धं लघु स्मृतम्। विषापस्मारशूलाक्षिरोगदोषत्रयापहम्॥२८॥ | तगर, गर्म, मधुर, स्निग्ध, हल्का और विषरोग मृगी शूल नेत्ररोग तथा वात पित्त कफ तीनों को हरने वाली हैं। | valeriana wallichii |
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